sikh places, gurudwara

गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब

गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब गुरुद्वारा बिलासपुर साहिब हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर मे स्थित है बिलासपुर, कीरतपुर साहिब से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कभी यह कहिलूर रियासत की राजधानी थी। अक्टूबर 1611 में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने यहां के राजा कलियाणा चंद और कुंवर तारा चंद को ग्वालियर के किले […]

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गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब

गुरुद्वारा नानक झिरा साहिब अपनी दक्षिण भारत की दूसरी धर्म प्रचार यात्रा के दौरान सिक्खों के प्रथम गुरू , गुरू नानक देव जी ने नागपुर और खंडवा के अपने पड़ाव के बाद नर्मदा नदी पर प्राचीन हिन्दू मंदिर ओंकारेश्वर के दर्शन किए और नादेड़ पहुंचे। नांदेड़ से वह हैदराबाद और गोलकोंडा की ओर बढ़ गए,

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गोइंदवाल साहिब

गोइंदवाल साहिब ये ऐतिहासिक स्थान जहाँ सुंदर प्राकृतिक नजारो से भरपूर है, व अति सुंदर और रमणीक है, वहीं प्रबंध के नजरिये से भी एक आदर्श स्थान है। गोइंदवाल के ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इसी कहावत से लगाया जा सकता है कि आज गोइंदवाल को सिक्खी का धुरा कहा जाता है। श्री गुरू ग्रंथ साहिब

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मंजी साहिब गुरूद्वारा आलमगीर- लुधियाना

मंजी साहिब गुरूद्वारा आलमगीर- लुधियाना गुरुद्वारा मंजी साहिब लुधियाना के आलमगीर में स्थित है। यह स्थान लुधियाना रेलवे स्टेशन से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी 1761 में एक उच्च पुजारी के रूप में जंगलों से गुज़रने के बाद इस स्थान पर आये थे। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी

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गुरूद्वारा शहीदगंज साहिब बाबा दीप सिंह

गुरुद्वारा श्री शहीद गंज बाबा दीप सिंह बाबा दीप सिंह शहीद (26 जनवरी 1682 – 13 नवंबर 1757), सिख इतिहास में सबसे सम्मानित शहीदों में से एक हैं। बाबा दीप सिंह 12 मिसलों में से प्रसिद्ध “शहीदां दी मिस्ल” के संस्थापक और नेता थे। बाबा दीप सिंह सिखों के 300 साल पुराने धार्मिक स्कूल दमदमी

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मंजी साहिब गुरूद्वारा कैथल- हरियाणा

गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब कैथल हरियाणा राज्य के कैथल जिले में एक शहर और एक नगर परिषद है। 1 नवंबर 1989 तक कैथल पहले करनाल जिले और बाद में कुरुक्षेत्र जिले का हिस्सा था, जब यह हरियाणा के कैथल जिले का मुख्यालय बन गया। कैथल की सीमा पटियाला (पंजाब), कुरूक्षेत्र, जिंद और करनाल से लगती

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गुरूद्वारा गुरू का महल

गुरूद्वारा गुरू का महल अमृतसर सिफ्ती दा घर के स्थान पर यह सबसे पहला आवास स्थान बनाया गया था। मंजी साहिब के स्थान पर गुरूवाणी का कीर्तन, दीवान तथा गुरू का लंगर लगता था। रबाबियों के आवास के लिए भी मकान बनाये गये। जो बाद में गली रबाबियों के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसी स्थान

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गुरूद्वारा तरनतारन साहिब

गुरूद्वारा तरनतारन साहिब श्री दरबार साहिब तरनतारन, जिसे गुरुद्वारा श्री तरनतारन साहिब के नाम से भी जाना जाता है, भारत के पंजाब राज्य के तरनतारन साहिब शहर में स्थित एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण सिख गुरुद्वारा है। यह सिखों के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है और इसके साथ एक समृद्ध इतिहास जुड़ा हुआ है।

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गुरूद्वारा दमदमा साहिब

गुरूद्वारा दमदमा साहिब सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी आनंदपुर साहिब के चमकौर साहिब तथा मुक्तसर साहिब के ऐतिहासिक युद्ध के बाद तलवंडी साबो की धरती पर पहली बार जनवरी 1706 में अपने चरण कमल रखे थे। गुरू गोविन्द सिंह जी के आगमन से ये धरती पावन और ऐतिहासिक हो गई। गुरू गोविंद सिंह

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पांवटा साहिब गुरूद्वारा

गुरुद्वारा पोंटा साहिब गुरुद्वारा पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है।यह गुरुद्वारा सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में बनाया गया था। दशम ग्रंथ यहीं गुरु गोबिंद सिंह जी ने लिखा था। इसलिए, दुनिया भर में सिख धर्म के अनुयायियों के बीच गुरुद्वारा

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