
गुरुद्वारा आरती साहिब, पुरी
गुरुद्वारा आरती साहिब, पुरी में गुरु नानक देव जी की उस दिव्य आरती की याद में स्थापित है जो उन्होंने 1508 में जगन्नाथ मंदिर परिसर में खुले आकाश के नीचे गाई थी, जहां उन्होंने सृष्टि को ही आरती का माध्यम बताया।
गुरुद्वारा आरती साहिब, पुरी में गुरु नानक देव जी की उस दिव्य आरती की याद में स्थापित है जो उन्होंने 1508 में जगन्नाथ मंदिर परिसर में खुले आकाश के नीचे गाई थी, जहां उन्होंने सृष्टि को ही आरती का माध्यम बताया।
गुरुद्वारा मेहदियाना साहिब पंजाब के लुधियाना जिले के मेहदियाना गांव में स्थित एक पवित्र स्थल है, जो गुरु गोबिंद सिंह जी की ऐतिहासिक यात्रा से जुड़ा है। चमकौर की जंग के बाद, गुरु जी ने यहां विश्राम किया और इसी स्थान पर ज़फ़रनामा लिखने की प्रेरणा मिली। यहां जीवन आकार की मूर्तियाँ सिख बलिदान और इतिहास को दर्शाती हैं। हरा-भरा वातावरण, सरोवर और उकेरी गई धार्मिक छवियाँ इसे एक दर्शनीय तीर्थस्थल बनाती हैं।
गुरु हरगोबिंद साहिब जी को जहाँगीर ने ग्वालियर किले में कैद किया था। रिहाई के समय, उन्होंने 52 राजाओं को एक विशेष चोले के जरिए मुक्त करवा कर बंदी छोड़ दाता की उपाधि पाई। गुरुद्वारा इस महान घटना की याद में बना है।
गुरुद्वारा श्री रकाबगंज साहिब दिल्ली का एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जहाँ गुरु तेग बहादुर जी के शरीर का अंतिम संस्कार भक्ति और बलिदान के साथ किया गया था। यह स्थल सिख इतिहास और श्रद्धा का प्रतीक है।
गुरुद्वारा दमदमा साहिब – श्री हरगोबिंदपुर एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने अब्दुल ख़ान के नेतृत्व में आए मुग़ल सैनिकों को पराजित किया था। इस विजय के बाद, गुरु जी ने स्थानीय लोगों के सहयोग से इस नगर की स्थापना की। यह गुरुद्वारा आज भी सिख वीरता और आस्था का प्रतीक है, जो दूर-दूर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
गुरुद्वारा श्री गढ़ी साहिब, चमकौर साहिब में स्थित है जहाँ 1705 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने दो साहिबजादों और 40 सिखों के साथ मुगलों के खिलाफ वीरता से युद्ध लड़ा। यह वही ऐतिहासिक स्थल है जहाँ साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह ने बलिदान दिया था। आज यह स्थान शौर्य, बलिदान और श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है।
गुरुद्वारा श्री कत्लगढ़ साहिब, चमकौर साहिब में स्थित, वह पवित्र स्थल है जहाँ बीबी शरण कौर जी ने साहिबजादों सहित शहीदों का अंतिम संस्कार किया और इस वीरतापूर्ण कार्य में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
गुरुद्वारा कोतवाली साहिब, मोरिंडा, उस पवित्र स्थल को चिन्हित करता है जहाँ 1705 में माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादों को गिरफ़्तार कर बंदी बनाया गया था। एक रात ठंड, भूख और बिना कपड़ों के हालात में यहाँ रखा गया और अगली सुबह उन्हें सिरहिंद ले जाया गया, जहाँ उन्हें शहीदी प्राप्त हुई। यह स्थल आज सिख इतिहास में बलिदान और साहस का प्रतीक माना जाता है।
गुरुद्वारा श्री अंब साहिब, मोहाली एक पवित्र सिख तीर्थस्थल है, जहां गुरु हर राय साहिब जी ने चमत्कार करके आम के पेड़ को ऋतु से पहले फलने-फूलने का आशीर्वाद दिया था। यह स्थान गहरी आध्यात्मिक आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है।
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