
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब, लुधियाना
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब लुधियाना में स्थित है। यह श्रद्धालुओं को दुख और कष्टों से मुक्ति देने वाला प्रसिद्ध सिख स्थल है। यहाँ 24 घंटे गुरबाणी कीर्तन चलता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब लुधियाना में स्थित है। यह श्रद्धालुओं को दुख और कष्टों से मुक्ति देने वाला प्रसिद्ध सिख स्थल है। यहाँ 24 घंटे गुरबाणी कीर्तन चलता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

गुरुद्वारा श्री नगीना घाट श्री हज़ूर साहिब के दक्षिण में गोदावरी नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह वही स्थान है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने एक नगीने के माध्यम से धनी व्यापारी को विनम्रता और आध्यात्मिक ज्ञान का अनमोल संदेश दिया। यहां की संगमरमर की पालकी और शांत वातावरण इसे एक पवित्र दर्शन स्थल बनाते हैं।

गुरुद्वारा छेवीं पातशाही साहिब, पीलीभीत एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है जहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के आगमन की स्मृति जुड़ी है। शांत वातावरण और आध्यात्मिक महिमा के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।

गुरुद्वारा पातशाही दसवीं, जगाधरी वह ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी कपाल मोचन से कुरुक्षेत्र जाते समय ठहरे थे। आज यह स्थान आस्था, सेवा और आध्यात्मिक शांति का प्रमुख केंद्र है।

गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी, जिसे पूरबी टोला भी कहा जाता है, इटावा का ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु तेग बहादुर जी ने 1665-66 में दर्शन दिए थे। कोर्ट और कोतवाली के पास स्थित यह स्थान उदासी परंपरा द्वारा संचालित है और यहाँ देवनागरी रूप में स्थापित गुरु ग्रंथ साहिब तथा एक सुरक्षित हस्तलिखित प्रति आज भी श्रद्धा से संजोई गई है।

गुरुद्वारा श्री कूहनी साहिब, मणिमाजरा के भैंसा तीबा गाँव में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने अनुपूर्णा की भक्ति से प्रसन्न होकर 17 पहर ध्यान लगाया था। यह स्थान आज मंदिर और गुरुद्वारे के साथ धार्मिक एकता का सुंदर प्रतीक है।

गुरुद्वारा नंगली साहिब पुंछ, जम्मू और कश्मीर की पहाड़ियों के बीच स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र सिख तीर्थ स्थल है। यहाँ 24 घंटे लंगर, निःशुल्क आवास और शांत आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को गहरी शांति और जुड़ाव प्रदान करता है।

गुरुद्वारा श्री हरगोबिंद साहिब, ग्लुटियां खुर्द गाँव में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी कश्मीर से लौटते समय ठहरे थे। यह स्थल अपनी ऊँची गुंबद संरचना और प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है।

गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब मुक्तसर वह ऐतिहासिक स्थान है जहाँ चाली मुख़्तों ने 1705 में बलिदान दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वयं उनका अंतिम संस्कार किया और इस स्थल को अमर कर दिया। माघ मेले के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
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