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गुरुद्वारा मोती बाग साहिब

    गुरुद्वारा मोती बाग साहिब दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। गुरुद्वारा मोती बाग दिल्ली के प्रमुख गुरुद्वारों में से भी एक है। यह गुरुद्वारा आऊटर रिंग रोग पर धौला कुआं के पास स्थित हैं। गुरुदारे की खुबसूरत ऐतिहासिक सफेद इमारत दूर से ही दिखाई पड़ती है। बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रृद्धालु यहां दर्शन के लिए आते है। मोती बाग गुरुद्वारा कि अपनी एक हिस्ट्री है। मोती बाग गुरुद्वारे के इतिहास पर नजर डालें तो पता चला है कि—-
    मोती बाग गुरुद्वारा हिस्ट्री इन हिन्दी

    जब सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने जब 21 अक्टूबर 1706 में दक्षिण भारत यात्रा के लिए पंजाब से प्रस्थान किया। मार्च 1707 में राजपूताना के राज्य में पहुंचे, उसी स्थान पर उनको औरंगजेब की मृत्यु का समाचार मिला। उन्हें एक समाचार शहजादा बहादुर शाह जफर से गुरु जी को यह मिला कि उनको नैतिक सहयोग प्रदान करे। शहजादा बहादुर शाह जफर औरंगजेब का तीसरा पुत्र था जो औरंगजेब का राज्य हासिल करने का प्रयत्न कर रहा था।
    10 जून 1707 को गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने रेजिमेंट के कमांडर कुलदीप सिंह के नेतृत्व में सेना को बहादुर शाह की मदद के लिए भेजा। जब बहादुर शाह और शाह आलम की लड़ाई निणार्यक दौर में थी, उसी समय गुरु गोबिंद सिंह जी उस लड़ाई में शामिल हो गये। बहादुर शाह ने इस लड़ाई में विजय प्राप्त की तथा युद्ध में सहयोग करने वाले कुलदीप सिंह को सम्मानित किया और उनको 60 लाख रूपये के हीरे भेंट किए। बहादुर शाह से गुरु गोबिंद सिंह की मित्रता और प्रगाढ़ हो गई।

    गुरु गोबिंद सिंह जी पुनः दिल्ली आये और बरसात के चार महिने वहीं गुजारे दिल्ली में बहादुर शाह के साथ कई बैठक गुरु गोबिंद सिंह जी की। आज जहां मोती बाग गुरुद्वारा स्थापित है गुरु गोबिंद सिंह जी यही रूके थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म को मजबूत करने के लिए अपना काफी समय यहां बिताया।
    गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की तीरंदाजी की कुशलता

    श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी सेना के साथ इस स्थान पर डेरा डाला था। पहले इसे मोची बाग के नाम से जाना जाता था और बाद में इसका नाम बदलकर मोती बाग कर दिया गया। जब गुरु गोबिंद सिंह, एक कुशल धनुर्धर, दिल्ली पहुंचे, तो गुरु साहिब ने एक संदेश के साथ लाल किले की ओर तीर चलाकर अपने आगमन की घोषणा की। राजकुमार मुअज्जम (बाद में बहादुर शाह) लाल किले पर अपने सिंहासन पर बैठे थे। गुरु गोबिंद सिंह का तीर उस सिंहासन के पैर में लगा, जिस पर वे बैठे थे। बहादुर शाह ने तीर के प्रहार की दूरी और सटीकता को चमत्कार माना। अचानक एक दूसरा तीर सिंहासन के दूसरे पैर से टकराता हुआ आया। उसके साथ एक पत्र भी था, जिसमें लिखा था, “यह कोई चमत्कार नहीं है, बल्कि तीरंदाजी का कौशल है!” कहा जाता है कि बादशाह इससे इतना प्रभावित हुआ कि उसने तुरंत गुरु साहिब की सर्वोच्चता को स्वीकार कर लिया।

    देवहरी जहां से गुरु गोबिंद सिंह ने तीर चलाए थे, उसे संरक्षित किया गया है और गुरु गोविंद सिंह के शानदार तीरंदाजी के सम्मान में गुरु ग्रंथ साहिब को वहां स्थापित किया गया है। अब भी देवहरी (द्वार) के ऊपर से दिल्ली के क्षितिज और लाल किले को लगभग 6.5 मील की दूरी से देखा जा सकता है।

    गुरुद्वारा मोती बाग साहिब तक पहुँचने के लिए, जो दिल्ली में दुरगाबाई देशमुख मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है, आप निम्नलिखित मार्गों का अनुसरण कर सकते हैं:

    • मेट्रो द्वारा: नजदीकी मेट्रो स्टेशन दुरगाबाई देशमुख मेट्रो स्टेशन है। मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलने के बाद, आप साइकिल रिक्शा, ऑटो-रिक्शा या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके गुरुद्वारा मोती बाग साहिब तक पहुँच सकते हैं। यह गुरुद्वारा ढौला कुआं, साउथ मोती बाग के पास स्थित है।

    • कार/टैक्सी द्वारा: अगर आप कार या टैक्सी से यात्रा कर रहे हैं, तो आप गूगल मैप्स या एप्पल मैप्स का उपयोग कर सकते हैं। अपने गंतव्य के रूप में “गुरुद्वारा मोती बाग साहिब, नानकपुरा रोड, पास ढौला कुआं, मोती गांव, साउथ मोती बाग, नई दिल्ली, दिल्ली 110032” डालें।

    • बस द्वारा: नई दिल्ली में एक व्यापक बस नेटवर्क है। आप ऐसी बसों के लिए जांच सकते हैं जो दुरगाबाई देशमुख मेट्रो स्टेशन या ढौला कुआं के पास से गुजरती हों। एक बार जब आप इस क्षेत्र में पहुँच जाएँ, तो आप स्थानीय परिवहन का उपयोग करके गुरुद्वारा मोती बाग साहिब तक पहुँच सकते हैं।

    • स्थानीय परिवहन: एक बार जब आप इस क्षेत्र में पहुँच जाएँ, तो आप साइकिल रिक्शा, ऑटो-रिक्शा या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकते हैं। यात्रा शुरू करने से पहले, ड्राइवर से मार्ग और किराया की पुष्टि करें।

    सदैव यह सुनिश्चित करें कि आप अपने यात्रा स्थल और वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर मार्गदर्शन और परिवहन के तरीके की पुष्टि करें। यदि संभव हो, तो स्थानीय लोगों से भी जानकारी प्राप्त करें ताकि आप गुरुद्वारा मोती बाग साहिब तक सही और ताज़ा जानकारी के साथ पहुँच सकें।

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