
गुरुद्वारा पहली पातशाही, शिकारपुर
गुरुद्वारा पहली पातशाही, शिकारपुर गुरुद्वारा पहली पातशाही, जो सुक्कुर ज़िले के शिकारपुर शहर में स्थित

गुरुद्वारा पहली पातशाही, शिकारपुर गुरुद्वारा पहली पातशाही, जो सुक्कुर ज़िले के शिकारपुर शहर में स्थित

गुरुद्वारा नंगली साहिब पुंछ, जम्मू और कश्मीर की पहाड़ियों के बीच स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र सिख तीर्थ स्थल है। यहाँ 24 घंटे लंगर, निःशुल्क आवास और शांत आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को गहरी शांति और जुड़ाव प्रदान करता है।

गुरुद्वारा श्री हरगोबिंद साहिब, ग्लुटियां खुर्द गाँव में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी कश्मीर से लौटते समय ठहरे थे। यह स्थल अपनी ऊँची गुंबद संरचना और प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है।

गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब मुक्तसर वह ऐतिहासिक स्थान है जहाँ चाली मुख़्तों ने 1705 में बलिदान दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वयं उनका अंतिम संस्कार किया और इस स्थल को अमर कर दिया। माघ मेले के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं।

गुरुद्वारा शहीद बाबा बोता सिंह और बाबा गरजा सिंह जी तरन तारन के पास स्थित एक पवित्र स्थल है जहाँ दोनों वीर सिख योद्धाओं ने मुगल अत्याचारों का डटकर सामना किया और शहीदी प्राप्त की। उनकी निडरता और बलिदान सिख इतिहास की अटूट वीरता का प्रतीक है।

गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुड्ढा साहिब जी वह पवित्र स्थल है जहाँ बाबा बुड्ढा जी ने सेवा, सिमरन और गुरमत शिक्षा का कार्य किया। यही स्थान माता गंगा जी को गुरु हरगोबिंद साहिब जी के जन्म का आशीर्वाद मिलने के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

गुरुद्वारा श्री अचल साहिब बटाला के पास स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र गुरुद्वारा है जिसे गुरु नानक देव जी और गुरु हरगोबिंद साहिब जी की चरण स्पर्श प्राप्त है।

परवती घाटी में स्थित गुरुद्वारा मणिकरण साहिब सिख और हिंदू दोनों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। माना जाता है कि गुरु नानक देव जी ने यहाँ चमत्कार कर गर्म झरने प्रकट किए थे। आज भी ये झरने आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए यात्रियों को आकर्षित करते हैं।

गुरुद्वारा श्री कोठा साहिब, वल्लाह गाँव, अमृतसर के पास स्थित है। यह वही पवित्र स्थान है जहाँ गुरु तेग बहादुर साहिब जी सत्रह दिनों तक श्रद्धालु सिख महिला माई हारो के कच्चे घर में ठहरे थे। यहाँ गुरु जी ने महिलाओं को आशीर्वाद दिया — “मैयां रब रजाइयां।” हर वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा को यहाँ भव्य मेला लगता है।
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