Gurudwara Gurusar Sahib, Lall Kalan | गुरुद्वारा गुरुसर साहिब, गांव लाल कलां | ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਗੁਰੂਸਰ ਸਾਹਿਬ, ਪਿੰਡ ਲਾਲ ਕਲਾਂ

गुरुद्वारा गुरुसर साहिब – गांव लाल कलां

गुरुद्वारा गुरुसर साहिब, गांव लाल कलां, लुधियाना, एक पवित्र स्थान है जिसे गुरु हरगोबिंद साहिब जी और गुरु गोबिंद सिंह जी ने आशीर्वाद दिया था। यहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने एक कोढ़ी को ठीक किया, और भक्तों का मानना है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग ठीक होते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी भी ऊच के पीर के वेश में यहां पधारे और बेरी साहिब के नीचे विश्राम किया। गुरुद्वारा हर साल गुरु नानक देव जी, गुरु हरगोबिंद साहिब जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव को श्रद्धा और भक्ति से मनाता है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर आशीर्वाद और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

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गुरुद्वारा कोढ़ीवाला घाट साहिब, गाँव बाबापुर

गुरुद्वारा कोढ़ीवाला घाट साहिब, गांव बाबापुर, गुरु नानक देव जी की तीसरी उदासी से जुड़ा पवित्र स्थल है। यहां गुरु जी ने एक कोढ़ी रोगी को अपने कीर्तन और आशीर्वाद से ठीक किया। इस स्थान पर यात्रियों के लिए धर्मशाला बनाने का निर्देश दिया गया था, जो आज गुरुद्वारा के रूप में स्थापित है। यहां गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व और बैसाखी बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।

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ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਭੱਠਾ ਸਾਹਿਬ | Gurudwara Bhatha Sahib

गुरुद्वारा भट्ठा साहिब

गुरुद्वारा भट्ठा साहिब, रोपड़ में स्थित एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने एक जलती भट्ठी को चमत्कारिक रूप से ठंडा कर दिया था। यह स्थान सिख इतिहास, आस्था और चमत्कारों का प्रतीक है। गुरु जी यहां चार बार पधारे थे, और उनके आगमन की याद में यह गुरुद्वारा स्थापित किया गया। यहां हर साल बड़े धार्मिक समागम होते हैं, जिनमें संगत बड़ी श्रद्धा से भाग लेती है।

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Gurudwara Handi Sahib, Patna | गुरुद्वारा हांडी साहिब, पटना | ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਹਾਂਡੀ ਸਾਹਿਬ, ਪਟਨਾ

गुरुद्वारा हांडी साहिब

गुरुद्वारा हांडी साहिब, दानापुर, बिहार में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार ने पटना साहिब से प्रस्थान के बाद पहला पड़ाव डाला था। यह यमुना देवी की भक्ति से जुड़ा है, जिन्होंने प्रेमपूर्वक गुरु जी के परिवार और संगत को खिचड़ी परोसी। चमत्कारिक रूप से, यह भोजन कभी समाप्त नहीं हुआ, जो ईश्वरीय आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

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