समाधि सरदार हरि सिंह नलवा, जमरौद
उत्तर-पश्चिमी सीमा पर प्रसिद्ध खैबर दर्रे के द्वार पर स्थित जमरौद किला सिख शौर्य और सैन्य महानता की याद दिलाता है। इस ऐतिहासिक किले के भीतर सिख साम्राज्य के महान सरदार और महाराजा रणजीत सिंह के विश्वसनीय सेनापति सरदार हरी सिंह नलवा की समाधि स्थापित है।
यहीं वैशाख की 19 तारीख, संवत 1894 (1837 ई.) को, सरदार हरी सिंह नलवा ने अफगानी सेना के भीषण हमले के विरुद्ध जमरौद किले की रक्षा करते हुए शहादत प्राप्त की। यद्यपि वे गंभीर रूप से घायल थे, फिर भी उन्होंने अद्भुत वीरता से युद्ध किया और अपने अंतिम सांस तक दुश्मनों को रोकते हुए सिख साम्राज्य की सीमाओं की रक्षा की।
संवत 1848 (1791 ई.) में गुजरांवाला में माता धरम कौर और सरदार गुरदियाल सिंह के घर जन्मे हरी सिंह नलुआ ने कसूर, मुल्तान, अटक, हजारा, कश्मीर, नौशहरा, पेशावर और अंततः जमरौद में अपनी अद्वितीय विजय से अमर कीर्ति अर्जित की। उनका नाम मात्र ही शत्रुओं के हृदय में भय उत्पन्न कर देता था। ब्रिटिश इतिहासकार ओलाफ कैरो के अनुसार, अफगान माताएँ अपने रोते हुए बच्चों को चुप कराने के लिए कहा करती थीं — “हरिया राग्ले” (हरी सिंह आ गया है)।
जमरौद किले के भीतर सरदार हरी सिंह नलुआ को समर्पित समाधि और गुरुद्वारा इस महान योद्धा की स्मृति और विरासत को संजोए हुए हैं — यह स्थान पीढ़ियों से उस सिख वीर से जुड़े पवित्र इतिहास की गवाही देता है।
समाधि सरदार हरी सिंह नलवा तक पहुँचने के लिए आप अपनी स्थिति और सुविधा के अनुसार अलग-अलग यातायात के साधन चुन सकते हैं। यहाँ कुछ विकल्प दिए गए हैं:
हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा पेशावर का बाचा खान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो जमरौद किले से लगभग 20 किमी दूर है। हवाई अड्डे से आगे जाने के लिए विशेष सुरक्षा अनुमति और स्वीकृत वाहन की आवश्यकता होती है।
रेल मार्ग से: सबसे नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन पेशावर है। वहाँ से जमरौद लगभग 17 किमी दूर है, लेकिन यहाँ भी पहुँचने के लिए सैन्य प्रतिबंधों के कारण अनुमति आवश्यक है।
सड़क मार्ग से: जमरौद, पेशावर–तोर्खम राजमार्ग (N-5) पर स्थित है, जो अफगान सीमा की ओर जाता है। यह पेशावर से लगभग 17–20 किमी की दूरी पर है।
यात्रा से पहले अपने प्रारंभिक स्थान के अनुसार यातायात विकल्पों और समय-सारिणी की जाँच करना उचित होगा। हालाँकि, विदेशी पर्यटक और कई स्थानीय लोग भी बिना आधिकारिक अनुमति के किले के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते। चूँकि जमरौद किला पाकिस्तान की सेना के नियंत्रण में है, इसलिए किले और समाधि में सामान्य प्रवेश वर्जित है। यात्री आमतौर पर सरकारी/सैन्य अनुमति या किसी मान्यता प्राप्त ऐतिहासिक या सांस्कृतिक दल के साथ ही प्रवेश कर सकते हैं।
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- गुरुद्वारा भाई जोगा सिंह - 19.4 k.m