गुरुद्वारा साहिब, कंगनपुर जिला-कसूर

गुरुद्वारा साहिब, कंगनपुर, जिसे गुरुद्वारा माल जी साहिब के नाम से भी जाना जाता है, सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका संबंध प्रथम सिख गुरु, गुरु नानक देव जी से जुड़ा हुआ है। स्थानीय परंपरा के अनुसार, गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना एक बार इस गांव में आए थे। लेकिन गांव के लोगों ने उनका आदर-सत्कार नहीं किया और उन्हें आतिथ्य देने से इनकार कर दिया।

गांव छोड़ते समय गुरु नानक देव जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया, “वसदे रहो” अर्थात तुम यहीं बसे रहो और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करो। इसके बाद गुरु जी पास के गांव मानक डेके (मानक डेकी) पहुंचे, जहां के निवासियों ने उनका हृदय से स्वागत किया और प्रेमपूर्वक सेवा की।

मानक डेके से प्रस्थान करते समय गुरु नानक देव जी ने कहा, “उजड़ जाओ” अर्थात तुम बिखर जाओ। यह सुनकर भाई मरदाना चकित हो गए और उन्होंने गुरु जी से इस विपरीत आशीर्वाद का कारण पूछा। तब गुरु साहिब ने समझाया कि कंगनपुर के अभद्र और नकारात्मक स्वभाव वाले लोग एक ही स्थान पर सीमित रहें ताकि उनकी नकारात्मकता फैल न सके, जबकि मानक डेके के सद्गुणी लोग दूर-दूर फैलें ताकि उनकी भलाई और अच्छाई संसार में फैल सके।

वर्तमान गुरुद्वारा भवन का निर्माण वर्ष 1939 में किया गया था। यह स्थान लंबे समय तक धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा, विशेष रूप से हर बिक्रमीय महीने की पहली तारीख को यहां संगत एकत्र होती थी और हर वर्ष मार्च के मध्य में एक बड़ा धार्मिक उत्सव भी मनाया जाता था। हालांकि, अगस्त–सितंबर 1947 में भारत के विभाजन के बाद यह गुरुद्वारा वीरान हो गया। आज भी इसका भवन अच्छी स्थिति में है, लेकिन नियमित देखभाल और सक्रिय धार्मिक कार्यक्रमों का अभाव है।

गुरुद्वारा साहिब, कंगनपुर पाकिस्तान में स्थित है। इसलिए भारतीय नागरिकों के लिए यहां यात्रा करने से पहले आवश्यक दस्तावेज़ और वीज़ा होना अनिवार्य है। नीचे विभिन्न यात्रा विकल्प दिए गए हैं, जिन्हें यात्रा की योजना बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए।

सड़क मार्ग (कार या टैक्सी से): यदि आपके पास कार है या आप टैक्सी लेना चाहते हैं, तो आप सड़क मार्ग से गुरुद्वारा साहिब, कंगनपुर पहुँच सकते हैं। स्मार्टफोन में GPS या मैप ऐप का उपयोग करके “Kanganpur, Kasur District, Pakistan” सर्च करें। सड़क मार्ग से यह स्थान आसानी से खोजा जा सकता है।

रेल मार्ग से: कंगनपुर गांव के लिए निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन कसूर रेलवे स्टेशन (KSF) है। बेहतर रेल संपर्क के लिए लाहौर जंक्शन रेलवे स्टेशन (LHR) भी एक विकल्प है। पाकिस्तान के भीतर अपने स्थान से कसूर या लाहौर तक ट्रेन ली जा सकती है। वहां से कंगनपुर गांव के लिए स्थानीय बस या टैक्सी उपलब्ध होती है। कसूर और लाहौर के बस अड्डों से कंगनपुर जाने वाली बसें भी मिल जाती हैं।

बस मार्ग से: कसूर या लाहौर से कंगनपुर के लिए स्थानीय बस सेवाएं उपलब्ध रहती हैं। कंगनपुर पहुंचने के बाद गुरुद्वारा साहिब तक जाने के लिए टैक्सी या रिक्शा लिया जा सकता है।

हवाई मार्ग से: निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा अल्लामा इक़बाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, लाहौर (LHE) है। यह कंगनपुर से लगभग 60–70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से टैक्सी या राइड-शेयरिंग सेवा लेकर कंगनपुर पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से यात्रा में ट्रैफिक और सड़क की स्थिति के अनुसार लगभग 90 से 120 मिनट लग सकते हैं।

महत्वपूर्ण यात्रा सूचना: यात्रा से पहले अपने स्थान के अनुसार परिवहन साधनों और समय-सारिणी की जांच अवश्य करें। भारतीय नागरिकों के लिए पाकिस्तान का वीज़ा आवश्यक है, जिसमें तीर्थयात्रा का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। यात्रा की योजना बनाने से पहले भारत में पाकिस्तान के उच्चायोग और संबंधित पाकिस्तानी अधिकारियों से नवीनतम नियम और धार्मिक स्थलों की पहुंच संबंधी जानकारी अवश्य प्राप्त करें।

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