
तख्त श्री पटना साहिब बिहार
तख्त श्री पटना साहिब हरमंदिर तख्त श्री पटना साहिब, जिसे पटना साहिब गुरुद्वारा के नाम

तख्त श्री पटना साहिब हरमंदिर तख्त श्री पटना साहिब, जिसे पटना साहिब गुरुद्वारा के नाम
गुरुद्वारा श्री अंतरआत्मा साहिब गुरुद्वारा श्री अंतरआत्मा साहिब, कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी में स्थित

सुल्तानपुर लोधी, जहाँ गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के लगभग 14 वर्ष बिताए, सिख इतिहास का पवित्र स्थल है। यहीं उनकी बहन बेबे नानकी जी का घर था और गुरु जी ने मोदीखाने में सेवा की। इस नगर से ही उनकी आध्यात्मिक यात्राओं की शुरुआत हुई। आज यहाँ स्थित गुरुद्वारा श्री बेबे नानकी जी गुरु जी और बेबे नानकी जी के पवित्र संबंध की स्मृति को जीवंत करता है।

गुरुद्वारा बंगला साहिब यह गुरुद्वारा 8 वे सिक्ख गुरु, गुरु हर कृष्ण की संगती और
गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग बनारस का इतिहास वाराणसी (वरुणा घाट से अस्सी घाट तक, इसलिए
सुल्तानपुर लोधी, जो भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है, गुरु नानक के जीवन से गहरे रूप में जुड़ा हुआ है। यहाँ गुरु जी ने लगभग 14 साल बिताए, जहाँ उनकी संगत बढ़ी और शहर ने समृद्धि हासिल की। सुल्तानपुर लोधी में गुरु नानक से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थान और गुरुद्वारे हैं, जो आज भी उनकी उपस्थिति और शिक्षाओं को दर्शाते हैं।

गुरुद्वारा हट्ट साहिब गुरुद्वारा हट्ट साहिब पंजाब के कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी में एक

गुरुद्वारा मोती बाग साहिब गुरुद्वारा मोती बाग साहिब दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से

गुरु का ताल, आगरा के सिकंदरा के पास स्थित, एक ऐतिहासिक सिख तीर्थ स्थल है जो श्री गुरु तेग बहादुर जी की याद में बनाया गया। यह वह स्थान है जहाँ गुरु जी ने मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब को स्वैच्छिक गिरफ्तारी की पेशकश की थी। यह ताल 1610 में जहांगीर के शासनकाल में पानी जमा करने के लिए बनाया गया था, और यह स्थल गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से जुड़ा हुआ है। 1970 में संत बाबा साधू सिंह “मौनी” के प्रयासों से यहाँ गुरुद्वारा बनाया गया। हर साल हज़ारों श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर गुरु जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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