
गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब
गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब वह पवित्र स्थल है जहाँ 1705 में गुरु गोबिंद सिंह जी के 40 समर्पित सिखों, “चालीस मुक्ते”, ने मुग़ल सेना से लड़ते हुए शहादत दी। यह शहादत खिदराने की ढाब के नाम से जानी जाती है, और बाद में यह स्थान मुक्तसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यहां एक गुरुद्वारा बना है, जो चालीस मुक्तों की शहादत की याद में है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने शहीदों का अंतिम संस्कार किया और घायल भाई महासिंह की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए उसे अपनी गोद में सिर रखकर आशीर्वाद दिया। आज यह स्थल सिख संगत और पर्यटकों के लिए आस्था का केंद्र है।