
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब, लुधियाना
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब लुधियाना में स्थित है। यह श्रद्धालुओं को दुख और कष्टों से मुक्ति देने वाला प्रसिद्ध सिख स्थल है। यहाँ 24 घंटे गुरबाणी कीर्तन चलता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब लुधियाना में स्थित है। यह श्रद्धालुओं को दुख और कष्टों से मुक्ति देने वाला प्रसिद्ध सिख स्थल है। यहाँ 24 घंटे गुरबाणी कीर्तन चलता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब मुक्तसर वह ऐतिहासिक स्थान है जहाँ चाली मुख़्तों ने 1705 में बलिदान दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वयं उनका अंतिम संस्कार किया और इस स्थल को अमर कर दिया। माघ मेले के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुँचते हैं।

गुरुद्वारा शहीद बाबा बोता सिंह और बाबा गरजा सिंह जी तरन तारन के पास स्थित एक पवित्र स्थल है जहाँ दोनों वीर सिख योद्धाओं ने मुगल अत्याचारों का डटकर सामना किया और शहीदी प्राप्त की। उनकी निडरता और बलिदान सिख इतिहास की अटूट वीरता का प्रतीक है।

गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुड्ढा साहिब जी वह पवित्र स्थल है जहाँ बाबा बुड्ढा जी ने सेवा, सिमरन और गुरमत शिक्षा का कार्य किया। यही स्थान माता गंगा जी को गुरु हरगोबिंद साहिब जी के जन्म का आशीर्वाद मिलने के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

गुरुद्वारा श्री अचल साहिब बटाला के पास स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र गुरुद्वारा है जिसे गुरु नानक देव जी और गुरु हरगोबिंद साहिब जी की चरण स्पर्श प्राप्त है।

गुरुद्वारा श्री कोठा साहिब, वल्लाह गाँव, अमृतसर के पास स्थित है। यह वही पवित्र स्थान है जहाँ गुरु तेग बहादुर साहिब जी सत्रह दिनों तक श्रद्धालु सिख महिला माई हारो के कच्चे घर में ठहरे थे। यहाँ गुरु जी ने महिलाओं को आशीर्वाद दिया — “मैयां रब रजाइयां।” हर वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा को यहाँ भव्य मेला लगता है।

गुरुद्वारा काला माला साहिब, गाँव छापा (बरनाला) का एक ऐतिहासिक और पवित्र गुरुद्वारा है। माना जाता है कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी यहाँ आए थे और बाबा श्रीचंद जी ने यहाँ ध्यान किया था। श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ के पवित्र सरोवर में स्नान करने से त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। यहाँ प्रतिदिन कीर्तन और लंगर की व्यवस्था होती है तथा गुरुपुरब पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गुरुद्वारा दमदमा साहिब – श्री हरगोबिंदपुर एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने अब्दुल ख़ान के नेतृत्व में आए मुग़ल सैनिकों को पराजित किया था। इस विजय के बाद, गुरु जी ने स्थानीय लोगों के सहयोग से इस नगर की स्थापना की। यह गुरुद्वारा आज भी सिख वीरता और आस्था का प्रतीक है, जो दूर-दूर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

गुरुद्वारा श्री गढ़ी साहिब, चमकौर साहिब में स्थित है जहाँ 1705 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने दो साहिबजादों और 40 सिखों के साथ मुगलों के खिलाफ वीरता से युद्ध लड़ा। यह वही ऐतिहासिक स्थल है जहाँ साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह ने बलिदान दिया था। आज यह स्थान शौर्य, बलिदान और श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है।
इस वेबसाइट पर मौजूद तस्वीरें इंटरनेट से ली गई हैं। गुरुद्वारा इतिहास से जुड़ी किसी भी कॉपीराइट संबंधी चिंता या सुधार के लिए कृपया हमसे sikhplaces@gmail.com पर संपर्क करें।
सिख प्लेसेस ©2025. सर्वाधिकार सुरक्षित।