
गुरुद्वारा गुरु के महल
गुरुद्वारा गुरु के महल अमृतसर जंक्शन से 1.5 किमी की दूरी पर स्थित, गुरुद्वारा श्री
गुरुद्वारा गुरु के महल अमृतसर जंक्शन से 1.5 किमी की दूरी पर स्थित, गुरुद्वारा श्री
गुरूद्वारा तरनतारन साहिब श्री दरबार साहिब तरनतारन, जिसे गुरुद्वारा श्री तरनतारन साहिब के नाम से
गुरुद्वारा पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में यमुना नदी के किनारे स्थित एक पवित्र सिख तीर्थस्थल है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां चार वर्ष बिताए और दशम ग्रंथ के प्रमुख भाग लिखे। 1688 में हुए भंगानी युद्ध से जुड़ा यह गुरुद्वारा सिख वीरता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहां गुरु जी के हथियार, एक स्वर्ण पालकी और ऐतिहासिक वस्तुओं का संग्रहालय है। लंगर सेवा रोज़ होती है और गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती व बैसाखी पर विशाल आयोजन होते हैं।
गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी, हिस्ट्री ऑफ बाबा अटल राय
तख्त श्री हजूर साहिब हजूर साहिब गुरूद्वारा महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ जिले में स्थापित हैं।
गुरुद्वारा सीस गंज साहिब दिल्ली में उस पावन स्थल पर स्थित है जहाँ 24 नवंबर 1675 को गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा करते हुए बलिदान दिया। उनका सिर भाई जैता ने उसे चुपचाप आनंदपुर साहिब पहुँचाया। वहीं, लखी शाह बंजारा ने शरीर को चुराकर अपने घर में आग लगाकर गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया। इसका का निर्माण 1783 ईस्वी में उस समय हुआ जब करोड़सिंहिया मिसल के जत्थेदार बाबा बघेल सिंह ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया और कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों की स्थापना करवाई।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब हेमकुंड साहिब का वर्णन स्कंदपुराण में वर्णित बद्रिकाश्रम महात्म्य में भी
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