तख्त श्री केसगढ़ साहिब
बल¨वदर ¨सह लोदीपुर, आनंदपुर साहिब : श्री आनंदपुर साहिब का सबसे महत्वपूर्ण स्थान तख्त श्री केसगढ़ साहिब सिख धर्म के पांच तख्तों में से एक है। यहां गुरु साहिब का एक किला भी था। 13 अप्रैल 1699 में सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। इस मौके विशाल एकत्रीकरण में गुरु साहिब ने पांच प्यारों को अमृत छकाया तथा ¨सह बनाया एवं खुद भी पांच प्यारों से अमृत छका। सिखों के पांच तख्तों में श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर साहिब, तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री हजूर साहिब तथा पांचवां तख्त श्री दमदमा साहिब है।
इतिहास के अनुसार, बैसाखी पर 1699 में एक बहुत बड़े पंडाल में गुरु गो¨बद ¨सह जी ने दीवान सजाए। संगत उनके वचन सुन ही रही थी कि गुरु जी अपने दायें हाथ में एक चमकती हुई तलवार लेकर खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि कोई सिख हमें अपना शीश भेंट करें। यह सुनकर भाई दया राम खड़े हो गए और शीश हाजिर किया। गुरु जी बाजू पकड़कर उन्हें तम्बू में ले गए। कुछ समय बाद रक्त से भीगी तलवार लेकर तम्बू से बाहर आए। गुरु जी ने फिर एक और सिख के शीश की मांग की। भाई धर्म जी खड़े हो गए, उसे भी गुरु जी अंदर ले गए। गुरु जी बाहर आए और फिर शीश मांगा। अब मोहकम चंद व चौथी बार भाई साहिब चंद आगे आए। पांचवी बार हिम्मत मल हाथ जोड़कर खड़े हो गए, गुरु जी उन्हें भी अंदर ले गए। गुरु जी ने तलवार को म्यान में डाल दिया और ¨सघासन पर बैठ गए। तम्बू में ही पांच शीश भेंट करने वाले प्यारों को नई पोशाकें पहनाकर अपने पास बैठा कर संगत से कहा कि यह पांचों मेरा ही स्वरूप हैं और मैं इनका स्वरूप हूं, ये पांच मेरे प्यारे हैं। तीसरे पहर गुरु जी ने लोहे का बाटा मंगवा कर उसमें सतलुज नदी का पानी डाल कर अपने आगे रख दिया। पांच प्यारों को सजा कर अपने सामने खड़ा कर लिया और मुख से जपुजी साहिब आदि बाणियों का पाठ करते रहे। पाठ की समाप्ति के बाद अरदास करके पांच प्यारों को एक-एक करके अमृत के पांच-पांच घूंट पिलाए। इस तरह पांच प्यारों से गुरु गो¨बद ने अमृत छका और अपने नाम के साथ भी श्री गो¨बद राय से श्री गुरु गो¨बद ¨सह जी कहलाए। इस स्थान पर ये इतिहास की अहम घटना हुई, उस तख्त श्री केसगढ़ साहिब स्थापित हुआ।
4 नवंबर को नगर कीर्तन निकाला जाएगा : मैनेजर रणजीत
तख्त श्री केसगढ़ साहिब के मैनेजर रणजीत ¨सह ने बताया कि श्री गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में 4 नवंबर को एक विशाल नगर कीर्तन सजाया जाएगा। यह नगर कीर्तन एसजीएस खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरू होकर मुख्य बजार से होता हुआ बस अड्डे से रविदास चौक में ठहराव के उपरांत देर शाम तख्त श्री केसगढ़ साहिब में संपन्न होगा।
स्कूली बच्चों के धार्मिक मुकाबले भी करवाए जाएंगे
श्री गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के संबंध में केसगढ़ साहिब में 4 नवंबर को शाम 7 से रात 10 बजे तक स्कूली बच्चों के शबद गायन व कविता उच्चारण के धार्मिक मुकाबले करवाए जाएंगे। मैनेजर रणजीत ¨सह ने बताया कि इस समागम में तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार रघवीर ¨सह, एसजीपीसी के प्रधान प्रोफेसर किरपाल ¨सह बडूंगर, एसजीपीसी महासचिव भाई अमरजीत ¨सह चावला, एसजीपीसी सदस्य ¨प्रसिपल सु¨रदर ¨सह, हिमाचल प्रदेश से एसजीपीसी के सदस्यो डॉ. दलजीत ¨सह ¨भडर विशेष रूप से शामिल होंगे।
तख्त श्री केसगढ़ साहिब एक सिख गुरुद्वारा है जो आनंदपुर साहिब, पंजाब, भारत में स्थित है। गुरुद्वारा तक पहुँचने के कुछ रास्ते हैं:
- हवाई द्वारा: सबसे निकटतम हवाई एड़ी चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाई एड़ी है, जो लगभग 85 किलोमीटर दूरी पर आनंदपुर साहिब से स्थित है। हवाई एड़ी से, आप टैक्सी या बस लेकर गुरुद्वारा तक पहुँच सकते हैं।
- रेलवे द्वारा: सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब रेलवे स्टेशन है, जो भारत के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। स्टेशन से, आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेकर गुरुद्वारे तक पहुँच सकते हैं।
- बस द्वारा: आनंदपुर साहिब से जुड़ी एक अच्छी बस सेवा है, और आप निकटवर्ती शहरों से बस लेकर आनंदपुर साहिब बस स्टैंड तक पहुँच सकते हैं। वहां से, आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेकर गुरुद्वारे जा सकते हैं।
- कार से: यदि आपके पास अपनी गाड़ी है या किराए पर ली हुई है तो आप गुरुद्वारे तक खुद भी ड्राइव कर सकते हैं। आनंदपुर साहिब सड़क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और आप मानचित्र पर आसानी से ढूंढ सकते हैं।
अन्य नजदीकी गुरुद्वारे
- गुरुद्वारा सीस गंज साहिब - 500m
- गुरुद्वारा शिरोमणि शहीद बाबा संगत सिंह जी- 800m
- गुरुद्वारा दमदमा साहिब - 350m
- ਗੁਰੂਦੁਆਰਾ ਸ਼ੀਸ਼ ਮਹਿਲ - 450m
- गुरुद्वारा दुमालगढ़ साहिब - 220 मी
- गुरुद्वारा किला फतेहगढ़ साहिब - 1.2 किमी