गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी
गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी, हिस्ट्री ऑफ बाबा अटल राय जी
गुरूद्वारा बाबा अटल राय जी अमृतसर का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। हर साल हरमंदिर साहिब जाने वाले लाखों तीर्थ यात्रियों में से कई को यह पता ही नहीं चलता है कि अमृतसर के बेहतरीन वास्तुशिल्प चमत्कारों और सिख धर्मों में से एक सबसे मार्मिक पूजा स्थल प्रसिद्ध हरमंदिर साहिब से कुछ ही दूरी पर है। कुछ दो शताब्दियों पहले निर्मित, बाबा अटल गुरु, गुरु हरगोबिंद के पुत्र, बाबा अटल राय के युवा जीवन का एक मार्मिक स्मरण है। इसकी नौ मंजिला इमारत 1628 में उनकी मृत्यु से पहले के उनके नौ वर्षों के जीवन की प्रतिध्वनि है गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब, स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में, सराय गुरु राम दास से लगभग 185 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह नौ मंजिला अष्टकोणीय मीनार, जो 40 मीटर ऊँची है, अमृतसर की सबसे ऊँची इमारत है। मूल रूप से यह एक समाधि, या सेनोटाफ, है। इसे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद के पुत्र, बाबा अटल राय के अवशेषों को यहां सुनिश्चित करते हुए उनकी याद में बनाया गया था। समय के बीतने के साथ,यह एक गुरुद्वारे में बदल दिया गया।
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श्री गुरू हरगोविंद राय जी के समय मे देश भर से यात्री संगत के रूप में श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन व स्नान के लिए आया करते थे। उनके लिए लंगर आदि का प्रबंध इसी स्थान पर किया जाता था। इसके साथ ही कच्चे सरोवर में कमल के फूल भी खिला करते थे। बाबा अटल राय जी अपने साथी मोहन और अन्य बच्चों के साथ इसी गुरूद्वारा वाले मैदान में खेला करते थे। तथा व्यायाम आदि किया करते थे।
एक दिन जब अटल राय खेलने के लिए आये तो उन्हें पता चला कि उनके साथी मोहन को रात्रि के समय सांप ने डस लिया है, तो आपने मृत मोहन के गले में छड़ी डालकर जोर से कहा— चलकर अपनी बारी दे और बहाने न बना! इस पर मोहन उठकर खड़ा हो गया। इस घटना की चर्चा चारों ओर होने लगी। बालक अटल राय जी देवी शक्ति के स्वामी थे।
परंतु पिता श्री गुरू हरगोविंद साहिब जी ने इस करामात को कहर करके समझाया कि अब तम मृतकों को जिंदा करने लग गये हो। ऐसा करना अकाल पुरख के हुकम में विध्न डालना है। तब बालक बाबा अटल राय जी ने कहा— मै वाहिगुरू को अपने प्राण दे देता हूँ। अतः आप समाधि लगाकर चादर तानकर लेट गये और अपने प्राण त्याग दिये। 24 सितंबर सन् 1628 को आप अकाल पुरख की ज्योति में विलीन हो गये।
उस समय बालक अटल राय जी की आयु 9 वर्ष की थी। इसी तथ्य को आधार बनाकर इस स्थान पर नौ मंजिलों वाली इमारत बनाई गई। यह इमारत 125 फुट जगह के ऊपर 150 फुट ऊंची, 19 फुट चौड़ा मीनार इस स्थान पर बना हुआ है। सन् 1778 में सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया तथा सरदार जोध सिंह की ओर से तीन मंजिल तक ही निर्माण कार्य किया गया था। बाद में सन् 1821 में महाराजा रणजीत सिंह तथा रानी सदाकौर की ओर से बाकी की मंजिले बनवायी गई थी। इस पर सोने का काम सरदार दयाल सिंह के द्वारा कराया गया था।
अमृतसर में गुरुद्वारा बाबा अटल राय जी तक पहुँचने के लिए, आप नीचे दिए गए निर्देशों का पालन कर सकते हैं:
- वायु द्वारा: अमृतसर का निकटतम हवाई अड्डा श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से, आप गुरुद्वारा साहिब तक पहुँचने के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
- ट्रेन द्वारा: अमृतसर रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आप मंदिर तक पहुँचने के लिए टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस ले सकते हैं।
- सड़क मार्ग द्वारा: अमृतसर उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गुरुद्वारे तक पहुँचने के लिए आप बस ले सकते हैं या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब परिसर के पास स्थित है और यहाँ पैदल या रिक्शा द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
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