गुरूद्वारा गुरू का महल
अमृतसर सिफ्ती दा घर के स्थान पर यह सबसे पहला आवास स्थान बनाया गया था। मंजी साहिब के स्थान पर गुरूवाणी का कीर्तन, दीवान तथा गुरू का लंगर लगता था। रबाबियों के आवास के लिए भी मकान बनाये गये। जो बाद में गली रबाबियों के नाम से प्रसिद्ध हुई।
इसी स्थान पर ही गुरू अर्जुन देव जी की शादी हुई। श्री गुरू रामदास जी ने लाहौर से प्रत्येक प्रकार के कारीगर मंगवा कर अमृतसर नगर को बसाया तथा गुरू के महल के साथ बत्तीस हटट्स बनवाये, इस बाजार का नाम गुरू का बाजार के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
गुरू रामदास जी ने अपने छोटे पुत्र श्री अर्जुन देव जी की सेवा तथा नाम स्मरण को देखते हुए एक सितंबर 1581 को गुरू गद्दी सौंपकर दो सितंबर 1581 को श्री गोइंदवाल साहिब के स्थान पर ज्योति ज्योत मे समा गये।
बाबा प्रिथी चंद गुरू रामदास जी के सबसे बडे पुत्र थे। परंतु उनका मन लौकिक अहंभावमय था। इसलिए आप गुरू पदवी से वंचित रहे। प्रत्येक परिवारिक कार्य में प्रिथी चंद तथा उनकी पत्नी बीबी करमों गुरू के महल माता गंगा के साथ क्लेश, कटुवचन तथा दुव्र्यवहार करती थी। इसलिए गुरू अर्जुन देव जी माता गंगा को साथ लेकर गुरू के महल को छोड़कर अन्य स्थान पर रहने लगे, परंतु बाबा बुड्ढढा सिंह जी, भाई गुरदास जी तथा गुरू घराने के प्रेमीजन नर नारी उन्हें शीघ्र ही वापिस ले आए। श्री गुरू हरगोविंद सिंह जी इस स्थान पर सन् 1634 तक रहे।
सन् 1604 में पुत्र हरगोविंद सिंह जी की शादी गुरू के महल के स्थान पर हुई थी। यहां उनके पुत्र बाबा गुरदत्ता जी, सूरजमल जी, अणीराय जी, बाबा अटल राय जी, तेग बहादुर जीतथा बीबी वीरो जी पैदा हुए।
गुरुद्वारा गुरु का महल भारतीय राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है। यहां जाने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- वायु द्वारा: अमृतसर का निकटतम हवाई अड्डा श्री गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 14 किमी दूर है। हवाई अड्डे से, आप गुरुद्वारे के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
- रेल द्वारा: अमृतसर जंक्शन शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है, और देश भर के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके बाद आप टैक्सी या स्थानीय बस से गुरुद्वारा जा सकते हैं।
- सड़क मार्ग: कई बसें और टैक्सी अमृतसर की सड़कों से अधिकांश प्रमुख शहरों और आसपास के राज्यों के लिए चलती हैं। अगर आप अपने वाहन से गुरुद्वारा जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। गुरुद्वारा अमृतसर के पुराने शहर में स्थित है, जो स्वर्ण मंदिर के करीब है, इसलिए आपको अपना वाहन एक निर्दिष्ट पार्किंग स्थल पर पार्क करना होगा और फिर गुरुद्वारे तक चलना होगा।
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- श्री दुःख भंजनि बेरी साहिब - 750m
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