गुरुद्वारा श्री बेबे नानकी जी

सुल्तानपुर लोधी भारत के सबसे प्राचीन नगरों में गिना जाता है, जिसकी स्थापना पहली शताब्दी ईस्वी के आसपास मानी जाती है। कनिंघम ने अपने सिख इतिहास में उल्लेख किया है कि इसे मूल रूप से तामसवाना कहा जाता था और यह एक प्रमुख बौद्ध बस्ती थी। समय के साथ यह नगर उपेक्षा और क्षय का शिकार हो गया। बाद में महमूद गजनवी के सेनापति सुल्तान खान लोधी ने इसका आंशिक रूप से पुनर्निर्माण किया। उस समय लाहौर के गवर्नर तातार खान लोधी थे, जिन्होंने 1504 में अपने पुत्र दौलत खान लोधी को यह क्षेत्र जागीर के रूप में दिया। दौलत खान बाद में लाहौर का गवर्नर बना, लेकिन सुल्तानपुर को उसने अपनी निजी राजधानी बनाए रखा।

सुल्तानपुर लोधी दिल्ली और लाहौर के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग का प्रमुख केंद्र था और उस समय उत्तर भारत के बड़े व्यापारिक नगरों में से एक बन चुका था।

यह नगर गुरु नानक देव जी के जीवन से गहराई से जुड़ा है। 1475 ईस्वी में गुरु जी की बड़ी बहन बेबे नानकी जी का विवाह सुल्तानपुर लोधी के जय राम से हुआ। 1483 में, पिता जी ने गुरु नानक को सुल्तानपुर भेजा, जहाँ जीजा जय राम ने उन्हें नवाब दौलत खान लोधी के मोदीखाने (नागरिक आपूर्ति भंडार) में नौकरी दिलवाई। जून 1488 में, यहीं पर गुरु जी का विवाह बीबी सुलखनी जी से हुआ। सुल्तानपुर में ही गुरु जी के दोनों पुत्र – जुलाई 1494 में श्री चंद और फरवरी 1497 में लखमी दास – का जन्म हुआ।

गुरु नानक देव जी लगभग 14 वर्षों तक सुल्तानपुर लोधी में रहे। इसी नगर में उन्होंने आध्यात्मिक साधना की, संगत बनाई और प्रभु भक्ति का संदेश फैलाना आरंभ किया। भाई गुरदास जी ने अपने वारन (XI.21) में सुल्तानपुर को ‘भगवान की आराधना का खजाना’ कहा है। यहीं से गुरु जी ने अपनी चार उदासियाँ प्रारंभ कीं, जिनसे संपूर्ण मानवता को सिख धर्म का दिव्य संदेश मिला।

आज सुल्तानपुर लोधी में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे स्थित हैं जो गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े पवित्र क्षणों की स्मृति में बने हैं, और इनमें गुरुद्वारा श्री बेबे नानकी जी विशेष महत्व रखता है।

सुल्तानपुर लोधी में गुरुद्वारा श्री बेबे नानकी जी तक पहुंचने के लिए नीचे कई विकल्प दिए गए हैं:

  • हवाई मार्ग से: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा श्री गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अमृतसर (लगभग 120 किमी) है। एक और विकल्प चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 145 किमी) है। दोनों स्थानों से टैक्सी या बस द्वारा सुल्तानपुर लोधी पहुँचा जा सकता है।

  • रेल मार्ग से: सुल्तानपुर लोधी का अपना रेलवे स्टेशन है, जो जालंधर, अमृतसर और फिरोज़पुर से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से गुरुद्वारे तक पहुँचने के लिए ऑटो-रिक्शा और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।

  • सड़क मार्ग से: सुल्तानपुर लोधी सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जालंधर (35 किमी), कपूरथला (26 किमी) और अमृतसर (110 किमी) से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। यह कस्बा कपूरथला–जालंधर–फिरोज़पुर सड़क नेटवर्क पर स्थित है।

  • निजी वाहन से: यदि आप अपनी कार से यात्रा कर रहे हैं तो जालंधर से लगभग 1 घंटे और कपूरथला से लगभग 40 मिनट में सुल्तानपुर लोधी पहुँचा जा सकता है। गुरुद्वारे के आसपास पार्किंग की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।

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