गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब, मुक्तसर
मुक्तसर का गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जो चाली मुख़्तों — चाली मुक्ति प्राप्त संत-योद्धाओं — की महान शहादत को समर्पित है। मुक्तसर, जिसे पहले खिदराना की ढाब कहा जाता था, का वर्तमान नाम उन बहादुर सिखों की कुर्बानी से जुड़ा है जिन्होंने वज़ीर खान, नवाब सरहिंद की मुगल सेना से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर किए। 29 दिसंबर 1705 को लड़ा गया यह निर्णायक युद्ध गुरु गोबिंद सिंह जी की अंतिम सैन्य मुठभेड़ माना जाता है।
युद्ध के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वयं सभी शहीदों का अंतिम संस्कार किया। इन्हीं में से एक थे माहन सिंह, जो गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़े थे। गुरु जी को आते देख उन्होंने उठने का प्रयास किया। गुरु साहिब ने उन्हें अपने आगोश में लिया। आंखों में आंसू लिए माहन सिंह ने गुरु जी से विनती की कि वह बेदहवा, वह पत्र जिसमें कुछ सिखों ने आनंदपुर साहिब से निकलते समय गुरु की गुरुई से इंकार किया था, उसे नष्ट कर दें। गुरु गोबिंद सिंह जी ने करुणा दिखाते हुए तुरंत उस पत्र को फाड़ दिया और इस प्रकार टूटा हुआ आध्यात्मिक संबंध पुनः जोड़ दिया।
जहां चाली मुख़्तों का अंतिम संस्कार हुआ, वहीं बाद में गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब, जिसे अंगीठा साहिब भी कहा जाता है, की स्थापना हुई। गुरुद्वारा एक शांत सरोवर के किनारे स्थित है और इसकी दीवारों पर सिख गुरुओं के जीवन और उपदेशों को दर्शाती सुंदर चित्रकारी है। यह स्थान बलिदान, श्रद्धा और आध्यात्मिक नवजीवन का प्रतीक है।
हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर 12 और 13 जनवरी को मनाए जाने वाले माघ मेले के दौरान। भारतीय पंचांग के अनुसार माघ महीने के पहले दिन विशाल संगत यहाँ एकत्र होती है और चाली मुख़्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
मुक्तसर में इससे जुड़े तीन अन्य महत्वपूर्ण गुरुद्वारे भी हैं — गुरुद्वारा तिब्बी साहिब, गुरुद्वारा तंबू साहिब और गुरुद्वारा दरबार साहिब। ये सभी मिलकर एक महत्वपूर्ण तीर्थ-परिक्रमा का रूप लेते हैं, जहाँ श्रद्धालु सिख इतिहास और विरासत से जुड़ने के लिए आते हैं।
मुक्तसर स्थित गुरुद्वारा शहीद गंज साहिब तक पहुँचने के लिए आप परिवहन के विभिन्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं। नीचे कई विकल्प दिए गए हैं:
कार से: मुक्तसर सड़क मार्ग से बठिंडा और फ़रीदकोट जैसे शहरों से आसानी से जुड़ा है। गुरुद्वारा शहर के भीतर सुविधाजनक स्थान पर स्थित है।
ट्रेन से: सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन मुक्तसर रेलवे स्टेशन है। स्टेशन से आप ऑटो या टैक्सी लेकर गुरुद्वारा पहुँच सकते हैं।
बस से: बठिंडा, फ़रीदकोट और आसपास के शहरों से नियमित बसें मुक्तसर बस स्टैंड तक आती हैं। बस स्टैंड से गुरुद्वारा थोड़ी दूरी पर है।
हवाई जहाज़ से: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा बठिंडा एयरपोर्ट है जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा आसानी से गुरुद्वारा पहुँचा जा सकता है।
यात्रा से पहले अपने क्षेत्र की परिवहन समय-सारिणी और उपलब्धता अवश्य जाँच लें। मुक्तसर पहुँचने पर स्थानीय लोगों से राह पूछ सकते हैं क्योंकि गुरुद्वारा बहुत प्रसिद्ध स्थान है।
अन्य नजदीकी गुरुद्वारे
- गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब - 100m
- गुरुद्वारा गुरु अंगद देव जी - 2.6 km


